महाकुंभ में स्टीव जॉब्स की पत्नी ने तोड़ दिया 93 साल पुराना रिकॉर्ड, जानें रचा कौन सा इतिहास

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एप्पल के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स हाल ही में महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज आई थीं. हालांकि, स्वास्थ्य संबंधी कारणों से वह पहले दिन संगम में स्नान नहीं कर पाई थीं, लेकिन लॉरेन पॉवेल जॉब्स की प्रयागराज यात्रा आकर्षण का केंद्र बनी रही. कुंभ में आध्यात्मिक अनुभव के बाद उन्होंने खूब सुर्खियां बटोरी, लेकिन उनके प्रयागराज आने से एक और रिकॉर्ड है, जो टूटा है.

लॉरेन पॉवेल जॉब्स भूटान एयरवेज के प्लेन से प्रयागराज आई थी और उसी से वापस भूटान भी चली गई. 93 सालों में यह प्रयागराज की पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान थी, जो प्रयागराज हवाई अड्डे के लिए ऐतिहासिक क्षण रहा. 1932 के बाद से यहां पर कोई भी अंतरराष्ट्रीय उड़ान नहीं भरी गई थी.

1932 तक होती थीं लंदन के लिए फ्लाइट्स 

1911 की बात है, जब हेनरी पिकेट ने भारत में डोमेस्टिक कमर्शियल एविएशन लॉन्च किया था. उन्होंने इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से लेकर नैनी तक डाक उड़ान थी. इसके बाद 1931 में इलाहाबाद हवाई अड्डा स्थापित हो गया था, जो भारत के पहले हवाई अड्डों में से एक बन गया था, जहां से 1932 तक लंदन के लिए उड़ानें होती थीं.

कुंभ में लॉरेन पॉवेल जॉब्स के शामिल होने के पीछे स्टीव जॉब्स की इच्छा

बात है 2 फरवरी, 1974 की, जब  स्टीब जॉब्स ने अपने दोस्त टिम ब्राउन को एक चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में उन्होंने कुंभ में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की थी. चिट्ठी में उन्होंंने लिखा, “मैं कुंभ मेले के लिए भारत जाना चाहता हूं, जो अप्रैल में शुरू होता है. मैं मार्च में किसी समय जाऊंगा, अभी तय नहीं है.” स्टीव जॉब्स का ये पत्र उनके हिंदू दर्शन और आध्यात्मिकता के उनके गहरे जुड़ाव को दर्शाता है. उन्होंने चिट्ठी के अंत में शांति, स्टीव जॉब्स लिखा था.

स्टीव जॉब्स की ये चिट्ठी हाल ही में लगभग 4.32 करोड़ रुपये में नीलाम हुई है. न केवल कुंभ बल्कि स्टीव जॉब्स की आध्यात्मिक यात्रा में उत्तराखंड के नीम करोली बाबा का आश्रम भी शामिल है. यहां पर बाबा नीम करोली की शिक्षा ने स्टीव जॉब्स को गहराई से आकर्षित किया था.

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