वास्तु शास्त्र भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, जो हमारे आसपास की ऊर्जा को संतुलित करने का विज्ञान है. घर में रखे फर्नीचर का भी वास्तु पर गहरा प्रभाव पड़ता है. फर्नीचर का आकार उसका स्थान और उसकी दिशा ये सभी चीजें घर में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को प्रभावित करती हैं, इसलिए फर्नीचर का वास्तु के अनुसार होना अत्यंत आवश्यक है.
फर्नीचर का आकार:
वास्तु के अनुसार, फर्नीचर का आकार आयताकार या वर्गाकार होना शुभ माना जाता है. गोल या अनियमित आकार के फर्नीचर से बचना चाहिए, क्योंकि ये ऊर्जा के प्रवाह में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं. फर्नीचर का आकार कमरे के आकार के अनुपात में होना चाहिए. बहुत बड़ा या बहुत छोटा फर्नीचर कमरे में असंतुलन पैदा कर सकता है.
फर्नीचर का स्थान:
फर्नीचर को कमरे में इस तरह रखना चाहिए कि वह कमरे में घूमने-फिरने में बाधा न बने. भारी फर्नीचर को दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना चाहिए जबकि हल्के फर्नीचर को उत्तर या पूर्व दिशा में रखना शुभ माना जाता है.
बेडरूम: बेड को दक्षिण या पूर्व दिशा में रखना चाहिए. बेड के सामने दर्पण नहीं होना चाहिए. अलमारी को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए.
लिविंग रूम: लिविंग रूम में सोफा और कुर्सियों को इस तरह रखना चाहिए कि वे एक-दूसरे के सामने हों. टीवी को उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए.
डाइनिंग रूम: डाइनिंग टेबल को कमरे के मध्य में रखना चाहिए. यह वर्गाकार या आयताकार हो सकता है.
फर्नीचर की दिशा:
फर्नीचर की दिशा भी वास्तु में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है-
लकड़ी का फर्नीचर: लकड़ी के फर्नीचर के लिए आग्नेय कोण, यानि दक्षिण-पूर्व दिशा का चुनाव करना ठीक होता है.
धातु का फर्नीचर: धातु के फर्नीचर को उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें:
- फर्नीचर को दीवार से थोड़ा हटाकर रखना चाहिए, ताकि हवा का संचार हो सके.
- टूटा हुआ या पुराना फर्नीचर घर में नहीं रखना चाहिए.
- फर्नीचर को साफ-सुथरा रखना चाहिए.